दिल्ली, एमएम : सावन का महिना हो उसमें कांवड़ यात्रा ना हो भला कोई सोच भी कैसे सकता है। इस बार छह जुलाई से यात्रा को शुरू होना था, लेकिन अब बहुत कम लोग ही जा सकेंगे। लेकिन कोरोना संकट के चलते इस बार कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया है। वहीं, जलाभिषेक के लिए स्थानीय गाइड लाइन का पालन करना होगा। शनिवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा की। तीनों मुख्यमंत्रियों ने कोविड-19 के हालात को देखते हुए सामूहिक रूप से कांवड़ यात्रा को स्थगित करने पर सहमति जताई। सीएम रावत ने कहा कि कांवड़ संघों और संत महात्माओं ने भी इस बार कांवड़ यात्रा स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था।
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक तीनों मुख्यमंत्रियों का मानना था कि कोरोना को रोकने के लिए बहुत जरूरी है कि लोगों के बड़ी संख्या में इकट्ठे होने से रोका जाए। अलबत्ता, लोग जलाभिषेक स्थानीय स्तर पर निर्धारित गाइडलाइन का पालन करते हुए कर सकते हैं। सीएम त्रिवेंद्र रावत जल्द ही इस बारे में राजस्थान, दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्रियों से बात करेंगे। कॉन्फ्रेंसिंग में संबंधित राज्यों के आला अफसर भी मौजूद रहे।
UP CM Yogi Adityanath held discussion via video conferencing with Haryana CM ML Khattar & Uttarakhand CM Trivendra Singh Rawat. The 3 CMs have decided to postpone this year's Kanwar Yatra in the wake of #COVID19 pandemic,as suggested by religious leaders & kanwar orgs (file pics) pic.twitter.com/japRHXHyTt
— ANI UP (@ANINewsUP) June 21, 2020
जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी कांवड़ यात्रा को लेकर चर्चा की थी। सीएम ने बताया कि केंद्रीय मंत्री ने भी कोरोना संक्रमण रोकने के लिए यात्रा पर गंभीरता से विचार करने को कहा था। उन्होंने यूपी व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के सहयोग देने पर आभार जताया।
बतादें कांवड़ यात्रा से हरिद्वार-मेरठ-दिल्ली हाईवे करीब 10 से 12 दिन तक पूरी तरह से कांवड़ियों के हवाले रहता है। इसके चलते देहरादून और गढ़वाल से बाहर जाने वाली बसों का यात्रा रूट भी बदलना पड़ता है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार पिछले साल कांवड़ यात्रा में हरिद्वार में 3.40 करोड़ कांवड़िये गंगाजल लेने पहुंचे थे। इस बार छह जुलाई से यात्रा को शुरू होना था, लेकिन अब बहुत कम लोग ही आ सकेंगे।