दिल्ली, न्यूज़ डेस्क, एमएम : पिछले कई दिनों से नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली पर प्रधानमंत्री पड़ से इस्तीफा देने का दबाव बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को हुए स्थायी समिती के बैठक में प्रचंड समेत कई नेताओं ने सत्ता ना संभाल पाने के आरोप लगाकर इस्तीफे की माँग किया था। आज यानि गुरुवार सुबह से ही नेपाल के सियासी हलचल तेज हो गई है। भारत के खिलाफ बयानबाजी को लेकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ रहा है। इस बीच ओली आज देश को संबोधित करने वाले हैं। उन्होंने राष्ट्रपति बिध्या देवी भंडारी से शीतल निवास पर मुलाकात की है। इसको देखते हुए ओली के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की अटकलें भी शुरू हो गई हैं। वहीं, नेपाल सरकार ने संसद के बजट सत्र को रद करने का फैसला किया है।
Nepal Government decides to prorogue (discontinue without dissolving) the ongoing Budget Session of the Parliament, decision taken at cabinet meeting held at Prime Minister KP Sharma Oli's official residence in Baluwatar.
— ANI (@ANI) July 2, 2020
मिल रही जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। ओली के बलूवाटार स्थित सरकारी आवास पर हुई कैबिनेट की बैठक में संसद का बजट सत्र स्थगित करने का फैसला लिया गया है। राष्ट्रपति ने संसदीय सत्र को रद करने के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए इसे संसद सचिवालय को भेज दिया है। दूसरी तरफ बलुवाटार में चल रही कम्युनिस्ट पार्टी की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में केपी शर्मा ओली शामिल नहीं हुए।
बतादें कि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। पार्टी की स्थायी समिति की बैठक में पुष्प कमल दहल प्रचंड, माधव नेपाल, झलनाथ खनाल और बामदेव गौतम सहित वरिष्ठ नेताओं ने ओली से इस्तीफा देने को कहा था।
Nepal: President Bidhya Devi Bhandari approves the Cabinet's proposal to prorogue the ongoing Parliamentary Session and sends letter to the Parliament Secretariat acknowledging it pic.twitter.com/5lIUuAS6gr
— ANI (@ANI) July 2, 2020
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पार्टी में विभाजन की खबरों के बीच बुधवार को ओली ने कैबिनेट मंत्रियों सहित अपने प्रमुख विश्वासपात्रों के साथ बैठक भी की थी। एनसीपी की बुधवार की स्थायी समिति की बैठक के दौरान 17 सदस्यों ने ओली के इस्तीफे की मांग की। यह पहली बार है जब कुल 44 स्थायी समिति के सदस्यों में से 31 ओली के खिलाफ खड़े हुए हैं।
Jab nas manuj pe chata hai pahle vivek mar jata hai. Oli jee ka bhi haal aisa hi dikh raha hai.