दिल्ली, एमएम : नेपाल में सियासी उठा पटक अभी थमने का आसार नहीं दिखाई दे रहा है। भारतीय सीमा पर लगातार वो विवाद को तूल दे रहा है।पहले तो नेपाल ने भारतीय क्षेत्रों को अपना बता कर नया नक्शा जारी करने के बाद एक और विवाद बढ़ाने वाला कदम उठाया है। अब नेपाल में सभी भारतीय न्यूज चैनलों के प्रसारण पर रोक लगा दिया गया है। हालांकि केवल दूरदर्शन समाचार का प्रसारण जारी रखने का फैसला किया गया है। नेपाली केबल टीवी प्रदाताओं ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, देश में भारतीय समाचार चैनलों के सिग्नल बंद हो गए हैं। हालांकि अब तक सरकारी आदेश जारी नहीं किया गया है।
नेपाली मीडिया की माने तो पूर्व उप प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने भारतीय न्यूज चैनलों पर गुस्सा दिखाते हुए कहा, नेपाल सरकार और हमारे पीएम के खिलाफ भारतीय मीडिया द्वारा आधारहीन प्रचार ने सारी हदें पार कर दी हैं। यह बहुत ज्यादा हो रहा था।
Nepali Cable TV providers tell ANI, signals for Indian news channels have been switched off in the country. No official government order of the same till now.
— ANI (@ANI) July 9, 2020
नेपाल लगातार चीन के नक्शे कदम पर चल रहा है। चीन ने भी लद्दाख में जारी तनाव के बीच अपने यहां भारतीय न्यूज चैनलों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया था। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली हमेशा भारत विरोधी बयान देते आये हैं और यही कारण है उनकी सरकार पर खतरा भी मंडराने लगा है, क्योंकि उनकी पार्टी के नेताओं ने उनके भारत विरोधी बयान का विरोध किया है।
बतादें कि नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार पर खतरा अभी टला नहीं है। नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की बुधवार को होने वाली अहम बैठक एक बार फिर टल गई, जिसमें प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के राजनीतिक भविष्य पर फैसला होना था। अब यह बैठक आज यानि शुक्रवार को है।
दरअसल इस घटनाओं के पीछे चीन का हाथ माना जा रहा है। ओली अपना कुर्सी बचने के लिए चीनी राजदूत होउ यांकी के साथ बढ़ती संलिप्तता से यह समस्या उत्त्पन हुई है। चीनी राजदूत यांकी ने उन्हें बचाने के लिए सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के नेताओं के साथ संवाद तेज कर दिया। एनसीपी में ओली और प्रचंड गुटों के बीच मनमुटाव तब और तेज हो गया जब प्रधानमंत्री ने बृहस्पतिवार को संसद के बजट सत्र का अवसान करने का एकतरफा निर्णय लिया। बतादें कि प्रचंड गुट प्रधानमंत्री पद से ओली के इस्तीफे की मांग कर रहा है।
वहीं इस मसले को लेकर नेपाल सरकार के फैसले के खिलाफ अनुकरणोश के स्वर उठने लगे हैं। सीमा से सटे नेपाल के मधेश क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व स्थानीय जनता ने इस निर्णय को तनाव बढ़ाने वाला कदम बताया है। लोगों ने कहा कि यह निर्णय उचित नहीं है।