दिल्ली, एमएम : मॉनसून सत्र के चौथे दिन लोकसभा में किसानों से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित हो गए। ये दोनों विधेयक कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तीकरण विधेयक) 2020 हैं। इससे जुड़ा तीसरा विधेयक मंगलवार को ही पारित हो चुका है। संसद में एनडीए के सहयोगी शिरोमणी अकाली दल के अलावा विपक्ष ने भी विधेयक का विरोध किया। विपक्षी दलों के जबरदस्त विरोध के बावजूद दोनों विधेयक पारित हो गए। इन विधेयकों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, ”मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों की बेटी और बहन के तौर पर उनके साथ खड़े होने पर गर्व है।” हरसिमरत कौर के पति और अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि हम एनडीए का हिस्सा बने रहेंगे और मोदी सरकार को समर्थन जारी रहेगा, लेकिन उसकी किसान विरोधी नीतियों का विरोध करेंगे।
I have resigned from Union Cabinet in protest against anti-farmer ordinances and legislation. Proud to stand with farmers as their daughter & sister.
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 17, 2020
बतादें कि इन विधेयकों को लेकर पहले भी कई किसान संगठन विरोध-प्रदर्शन कर चुके हैं। भाजपा इन विधेयकों को किसानों के लिए वरदान बता रही है तो कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि इन विधेयकों से किसानों को नुकसान ही होगा।
हालांकि कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने लोकसभा में कहा कि नए विधेयक किसान विरोधी नहीं हैं और ये किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाएंगे। वहीं, विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को छोटे किसानों के लिए नुकसानदायक करार देते हुए विधेयकों को संसद की स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की थी।
दोनों विधेयक किसान के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। देश तो 1947 में आजाद हुआ लेकिन किसान मंडियों की जंजीरों में बंधा था। आज PM मोदी के नेतृत्व में इन विधेयकों के माध्यम से उन्हें आजादी मिली है : केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर https://t.co/vwSLXBSU89 pic.twitter.com/VKsOxJ2Rwq
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 17, 2020
किसान यूं तो तीनों अध्यादेशों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सबसे ज्यादा आपत्ति उन्हें पहले अध्यादेश के प्रावधानों से हैं। उनकी चिंताएं मुख्य रूप से व्यापार क्षेत्र, व्यापारी, विवादों का हल और बाजार शुल्क को लेकर हैं। किसानों ने आशंका जताई है कि जैसे ही ये विधेयक पारित होंगे, इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म करने का रास्ता साफ हो जाएगा और किसानों को बड़े पूंजीपतियों की दया पर छोड़ दिया जाएगा। हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में किसान इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं।
नए विधेयकों के मुताबिक अब व्यापारी मंडी से बाहर भी किसानों की फसल खरीद सकेंगे। पहले फसल की खरीद केवल मंडी में ही होती थी। केंद्र ने अब दाल, आलू, प्याज, अनाज और खाद्य तेल आदि को आवश्यक वस्तु नियम से बाहर कर इसकी स्टॉक सीमा समाप्त कर दी है। इसके अलावा केंद्र ने कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग (अनुबंध कृषि) को बढ़ावा देने पर भी काम शुरू किया है। किसान संगठनों का आरोप है कि नए कानून से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुकसान किसानों को ही होगा।