दिल्ली, एमएम : राजनीति में कब क्या और किस चीज का सामना करना पड़े किसी को मालूम नहीं होता है। कभी कभी अपनी चाल उलटी भी पर जाती है। कुछ ऐसा ही लगा रहा है। हालांकि किसी एनजीओ और ट्रस्ट के प्रति मोदी सरकार की नजर हमेशा से बनी रहती है। इससे पहले भी भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने अनेकों ट्रस्ट को जाँच के दायरे में लाया है। अब गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी फाउंडेशन समेत गांधी परिवार से जुड़े तीन ट्रस्टों में वित्तीय लेनदेन में तथाकथित गड़बड़ी की जांच के लिए अंतरमंत्रालय समिति का गठन किया है। प्रवर्तन निदेशालय के विशेष निदेशक इस समिति के प्रमुख होंगे। अंतरमंत्रालय समिति राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की भी जांच करेगी।
MHA sets up inter-ministerial committee to coordinate investigations into violation of various legal provisions of PMLA, Income Tax Act, FCRA etc by Rajiv Gandhi Foundation, Rajiv Gandhi Charitable Trust & Indira Gandhi Memorial Trust. Spl. Dir. of ED will head the committee: MHA pic.twitter.com/lOrLTJ3Lah
— ANI (@ANI) July 8, 2020
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया है कि मंत्रालय ने एक अंतर-मंत्रालय कमेटी का गठन किया गया है, जो कि राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जांच करेगी।
बताया जा रहा है कि इस जांच में मनी लॉड्रिंग एक्ट, इनकम टैक्स एक्ट, विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 एक्ट के नियमों के उल्लंघन की जांच की जाएगी।
बतादें कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सोच और उनके सपनों को पूरा करने के लिए उनके नाम से इस फाउंडेशन की शुरुआत 21 जून 1991 को की गई थी। राजीव गांधी फाउंडेशन की वेबसाइट पर बताया गया है कि 1991 से 2009 तक फाउंडेशन ने स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान और तकनीक, महिला एवं बाल विकास, अपंगता सहयोग, शारीरिक रूप से निशक्तों की सहायता, पंजायती राज, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन आदि क्षेत्रों में काम किया। 2010 में फाउंडेशन ने शिक्षा क्षेत्र पर फोकस करने का फैसला किया। संघर्ष से प्रभावित बच्चों को शैक्षणिक मदद, शारीरिक रूप से निशक्त युवाओं की गतिशीलता बढ़ाने और मेधावी भारतीय बच्चों को कैंब्रिज में पढ़ने हेतु वित्तीय सहायता आदि जैसे कार्यक्रम फाउंडेशन की ओर से चलाए जाते हैं।
वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे, राहुल गांधी, डॉ. शेखर राहा, प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन, डॉक्टर अशोक गांगुली, संजीव गोयनका और प्रियंका गांधी वाड्रा भी फाउंडेशन के ट्रस्टी हैं।
वहीं भाजपा का आरोप है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2005-2008 के बीच पीएम राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा ट्रासंफर किया गया। बीजेपी का कहना है कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने कई कॉर्पोरेट से भारी पैसा लिया। बदले में सरकार ने कई ठेके दिए। यूपीए शासन में कई केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सेल, गेल, एसबीआई आदि पर राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा देने के लिए दबाव बनाया गया। देश की जनता इसका कारण जानना चाहती है।