पटना, एमएम : बिहार मे विधानसभा चुनाव इसी साल होने है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है की चुनाव अपने निर्धारित समय पर ही होंगें। चुनाव आयोग की सक्रियता इसका संकेत दे रही है। हालाँकि कोरोना संकट के बीच बिहार मे चुनावी हलचल बढ़ गई है। विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने पत्ते फ़ेंक रहे हैं। दोनों गठबंधन मे भी जोड़-तोड़ की रणनीति बनाई जा रही है। ऐसे मे मांझी भी अपने दाव आजमा रहे हैं।
हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने महागठबंधन में समन्वय समिति की बात फिर से दोहराई है। उन्होंने कहा कि 25 जून तक महागठबंधन में यदि कोई समन्वय समिति नहीं बनती है तो वह कोई भी निर्णय लेने को स्वतंत्र होंगे।
मांझी ने कहा कि पहले उन्होंने राजद समेत महागठबंधन के अन्य बड़े दलों को 30 दिसंबर तक महा समन्वय समिति के गठन का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन इसके बाद लॉकडाउन आने से उन्होंने इस पर जोर नहीं दिया था। पर उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अब 25 जून की डेड लाइन दी गई है। इतने पर ही नहीं रुकें और कहा कि महागठबंधन ने अभी मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं किया है। यह चेहरा समन्वय समिति तय करेगी।
सोमवार को पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अच्छा काम कर रहे हैं। वह संवेदनशील भी हैं पर जमीन पर उनके निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। पदाधिकारी सरकारी आदेशों का सही कार्यान्वयन नहीं कर रहे हैं। इसलिए वास्तविक नतीजा नहीं सामने आ रहा है। मनरेगा और क्वारंटाइन सेंटरों में घोटाला हो रहा है। मजदूरों को पैसा नहीं मिल रहा है। कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से सारे राहत कार्य में जनप्रतिनिधियों को शामिल करने और मामले की जांच के लिए फ्लाइंग स्क्वायड बनाने की मांग की थी। लेकिन सरकार ने उसे नहीं माना।
ऐसे में कई तरह के कयास लगाए जाए। एक तरफ वो महागठबंधन को अल्टिमेटम दे रहें हैं तो दूसरी तरफ नीतीश के तारीफ के पुल बांध रहें है। क्या मान लिया जाए की वक्त-बेवक्त जीतन राम मांझी एक बार फिर से पलटी मार सकते हैं। ये तो आने वाला समय ही बतायेगा।